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Showing posts from December, 2021

नवरतन कोठारी : दृढ़ निश्चयी, विनम्र और परोपकारी

जयपुर। नवरतन कोठारी अपने अनुभव और ज्ञान के साथ 1960 के दशक से केजीके समूह का नेतृत्व कर रहे हैं। एक समृद्ध वंश के साथ रत्न और आभूषण व्यवसाय उन्हें विरासत में मिला, वहीं उन्होंने इसे ऊंचाइयों तक पहुंचाने की चुनौती के तौर पर लिया और अपने प्रसिद्ध उपनाम के अलावा सब कुछ पीछे छोड़ते हुए चेन्नई में अपना पहला व्यावसायिक उद्योग शुरू किया। इसके बाद समूह का तेजी से विकास हुआ। केजीके समूह रत्नों के खनन और निर्माण के साथ ही हीरे की सोर्सिंग एवं निर्माण, ज्वेलरी मैन्युफैक्चरिंग और रियल एस्टेट का एक बहुराष्ट्रीय निगम है। इस समूह की मुख्य प्रेरक शक्ति नवरतन कोठारी रहे हैं। इनका वर्षों का व्यापार अनुभव और कौशल दुनियाभर में केजीके समूह को प्रेरणा देने का काम करता है। कोठारी कैंसर को लेकर राजस्थान के एकमात्र सुपर स्पेशियलिटी भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा वे वर्ष 1993 से सुबोध शिक्षा समिति के अध्यक्ष के तौर पर भी कार्य कर रहे हैं। यह संस्थान सालाना 33 हजार से अधिक विद्यार्थियों को प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों तक शिक्षा प्रदान करने का उत्कृ

गुरविंदर सिंह सेहमी (काके भाई) : पिता के लेथ मशीन के एक छोटे वर्कशॉप से साम्राज्य खड़ा कर लिया

विश्व मानचित्र पर अजमेर का नाम किया रोशन, मशीन के एक छोटे वर्कशॉप से ग्रेनाइट कटर के विश्व के सबसे इनोवेटिव कारोबारी बनने तक का सफर, कई लोगों को दे रहे हैं रोजगार जयपुर। सरलता और सहजता हमेशा आविष्कारक सोच विकसित करती है। कर्म मशीन टूल्स प्रा. लिमिटेड (केएमटी) के चेयरमैन तथा ग्रेनाइट कटर के सुप्रसिद्ध कारोबारी गुरविंदर सिंह सेहमी की इसी सोच से उनका कारोबार आसमान की ऊंचाइयां छू रहा है। गुरविंदर वो शख्स हैं जिन्होंने अपने पिता के लेथ मशीन के एक छोटे वर्कशॉप से अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया। अपनी क्षमताओं का अधिकतम विस्तार करने की सोच रखने वाले गुरविंदर के दोनों पुत्र कर्मजीत और अजीत कारोबार की कसौटी पर खरा सोना साबित हो रहे हैं। जैसे संस्कार गुरविंदर को उनके पिता से विरासत में मिले, वैसे ही संस्कार दोनों पुत्रों में है। जरूरतमंदों की मदद के लिए यह परिवार हमेशा तत्पर रहता है। गुरविंदर सिंह अमृतसर के गुरदासपुर स्थित फतेहगढ़ चूडिय़ा के मूल निवासी प्यारा सिंह सेहमी के छह पुत्रों में से सबसे छोटे पुत्र हैं। पिता रेलवे कर्मचारी थे और पाकिस्तान के लाहौर जिले में पदस्थ थे। 1947 के बाद पिता को अजमे