गुरविंदर सिंह सेहमी (काके भाई) : पिता के लेथ मशीन के एक छोटे वर्कशॉप से साम्राज्य खड़ा कर लिया
विश्व मानचित्र पर अजमेर का नाम किया रोशन, मशीन के एक छोटे वर्कशॉप से ग्रेनाइट कटर के विश्व के सबसे इनोवेटिव कारोबारी बनने तक का सफर, कई लोगों को दे रहे हैं रोजगार
जयपुर। सरलता और सहजता हमेशा आविष्कारक सोच विकसित करती है। कर्म मशीन टूल्स प्रा. लिमिटेड (केएमटी) के चेयरमैन तथा ग्रेनाइट कटर के सुप्रसिद्ध कारोबारी गुरविंदर सिंह सेहमी की इसी सोच से उनका कारोबार आसमान की ऊंचाइयां छू रहा है। गुरविंदर वो शख्स हैं जिन्होंने अपने पिता के लेथ मशीन के एक छोटे वर्कशॉप से अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया। अपनी क्षमताओं का अधिकतम विस्तार करने की सोच रखने वाले गुरविंदर के दोनों पुत्र कर्मजीत और अजीत कारोबार की कसौटी पर खरा सोना साबित हो रहे हैं। जैसे संस्कार गुरविंदर को उनके पिता से विरासत में मिले, वैसे ही संस्कार दोनों पुत्रों में है। जरूरतमंदों की मदद के लिए यह परिवार हमेशा तत्पर रहता है।
गुरविंदर सिंह अमृतसर के गुरदासपुर स्थित फतेहगढ़ चूडिय़ा के मूल निवासी प्यारा सिंह सेहमी के छह पुत्रों में से सबसे छोटे पुत्र हैं। पिता रेलवे कर्मचारी थे और पाकिस्तान के लाहौर जिले में पदस्थ थे। 1947 के बाद पिता को अजमेर रेलवे में जिम्मेदारी मिली तो परिवार सहित यहां आ बसे। पिता ने 1967 में वीआरएस लेकर कोतवाली के सामने लेथ मशीन की एक छोटी वर्कशॉप खोली। सभी भाई यहां काम सीखते और साथ-साथ पढ़ाई भी करते। पिता से हमेशा यह सीख मिली कि अपने काम के प्रति पूरी ईमानदारी रखो और हमेशा देने वाले बनो। गुरविंदर बताते हैं कि पिता की यह सीख कारगर साबित हुई और दिन-रात मेहनत के बाद 1984 से अपना कारोबार शुरू किया। आज कर्म मशीन टूल्स प्रा. लिमिटेड की तीनों यूनिट मिलकर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रही है और जिसका अच्छा खासा टर्नओवर भी है।
सीखने की ऐसी ललक कि ऑटोकैड पहले बेटे को सिखाया, फिर उससे खुद ने सीखा
कारोबारी गुरविंदर सिंह डेमोंस्ट्रेशन स्कूल के पूर्व विद्यार्थी रहे हैं। 1984 से अपने पारिवारिक व्यवसाय का बखूबी संचालन कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने ऐसे-ऐसे इनोवेशन किए जिनके बारे में सुनकर हर कोई चौंक जाए। ग्रेनाइट कटर में इन नए इनोवेशंस ने केएमटी का नाम विश्वपटल पर ला दिया। सेहमी के बड़े बेटे कर्मजीत सिंह मैकेनिकल इंजीनियर है और छोटे बेटे अजीत सिंह एमबीए है। गुरविंदर बताते हैं कि स्कूल के बाद उनके कंधों पर कारोबार को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी, इसलिए इंजीनियरिंग से जुड़े जटिल से जटिल टॉपिक्स उन्होंने अपनी ही इंडस्ट्री के अनुभव से सीखे। सीखने की ललक पिता से विरासत में मिली है। इस ललक का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि ऑटोकैड जैसे कठिन सॉफ्टवेयर की नॉलेज लेनी थी, तो बड़े बेटे कर्मजीत को पहले ऑटोकैड की कोचिंग दिलवाई, फिर घर पर ही बेटे से ऑटोकैड की बारीकियों को सीख लिया। आज अपनी इंडस्ट्री में हर तरह की मशीन डिजाइनिंग गुरविंदर खुद ही करते हैं।
जादुई हैं ये दो इनोवेशन, जो किसी ने सोचा नहीं था, केएमटी ने वो कर दिखाया, आज कई देशों में डिमांड
ग्रेनाइट कटर में लंबे समय तक एक ही तकनीक इस्तेमाल की जा रही थी, जिसमें कटर ऊपर की ओर से आकर पत्थर को काटता था। इन मशीनों की लागत ज्यादा थी, लेकिन प्रोडक्शन उतना नहीं था। लेबर भी ज्यादा लगानी होती थी। लेकिन गुरविंदर के जादुई आविष्कार ने ग्रेनाइट इंडस्ट्रीज का सिनेरियो ही बदल डाला। वे बताते हैं कि ग्रेनाइट कटिंग मशीन उत्पादन से जुड़े कारोबारियों ने कभी सोचा नहीं था कि कटर की साइड एंट्री वाला ग्रेनाइट कटर भी मार्केट में आ सकता है। जब यह इनोवेशन कर मशीनें बाजार में उतारी तो कई कारोबारियों ने तरह-तरह की तकनीकी खामियां निकालकर जमकर आलोचना की, यहां तक भी कहा गया कि साइड एंट्री कटर सफल ही नहीं हो सकता। लेकिन इसका उलट हुआ और कम कॉस्टिंग में ज्यादा प्रोडक्शन देने वाले केएमटी द्वारा विकसित साइड एंट्री ग्रेनाइट कटर्स ने बाजार में धूम मचा दी। अपने देश में ही नहीं, बल्कि कई दूसरे देशों में आज इसके एडवांस आर्डर रहते हैं। गुरविंदर बताते हैं कि उनका दूसरा इनोवेशन डबल हाउजिंग ग्रेनाइट कटर है, जिससे सामान्य कटर की तुलना में प्रोडक्शन लगभग तीन गुना बढ़ गया और लागत भी काफी कम हो गई है।
इजिप्ट, टर्की सहित कई देशों में सप्लाई, स्टोन कटिंग मशीन का नहीं है दूसरा कोई विकल्प
केएमटी निर्मित ट्विन कट साइड एंट्री ग्रेनाइट कटिंग मशीन का कॉपीराइट किया हुआ है। केएमटी गु्रप ने मेक इन इंडिया को ध्यान में रखते हुए विदेशी कंपनियों को मशीनेें एक्सपोर्ट करने के बजाय भारतीय बाजार को ही प्राथमिकता दी है। जबकि चाइना, टर्की, बांग्लादेश और इजिप्ट सहित अन्य कई देशों में आज भी केएमटी के ग्रेनाइट कटर की बहुत भारी डिमांड है। भारत देश की सभी प्रमुख ग्रेनाइट कटिंग उत्पादन इकाई में केएमटी गु्रप की ही मशीनरी का महत्वपूर्ण योगदान है।
इनोवेशन ऐसे-ऐसे कि चीन भी करने लगा कॉपी
केएमटी देश-विदेश में अब तक 800 से ज्यादा मार्बल गैंगसा मशीनें लगा चुकी है। आज ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां मार्बल ग्रेनाइट का उत्पादन हो और वहां केएमटी की मशीन नहीं लगी हो। यह देश के लिए गर्व की बात है कि 1990 के दौर में जहां इटली मार्बल गैंगसा मशीन का सबसे बड़ा मैन्यूफेक्चरर और सप्लायर था, वहीं 1995 के बाद इटली से भारत गैंगसा इंपोर्ट करने की जरूरत ही नहीं रही। केएमटी ने नई तकनीक के साथ जैसे ही गैंगसा को लॉन्च किया, पहले ही साल में इटली के कब्जे वाले बाजार पर मेक इन इंडिया काबिज हो गया। वहीं चीन से आने वाले ग्रेनाइट कटर भी यहां के कारोबारियों ने खरीदना बंद कर दिया क्योंकि उससे बेहतर तकनीक वाले ग्रेनाइट कटर अब केएमटी बना रही है। यहां तक कि चीन ने केएमटी की तकनीक कॉपी करके उसी अनुरूप मशीन बनाना शुरू कर दिया है।
कोराबार से हटके- स्नूकर के उम्दा खिलाड़ी, सामाजिक सरोकार में भी आगे
कारोबारी गुरविंदर स्नूकर के उम्दा खिलाड़ी हैं। वे 1998 से 2000 तक लगातार अजमेर क्लब के चैंपियन रहे हैं। यही नहीं अपने करीबी विजय के साथ सामाजिक सरोकार से जुड़े हैं और हर साल लोगों को सड़क हादसे से बचाने की मुहिम के तहत शहीद भगत सिंह नौजवान सभा के साथ व्यापक स्तर पर हजारों नि:शुल्क हैलमेट वितरण किए हैं। लॉकडाउन के दौरान भी कोरोना वॉरियर्स को हैलमेट वितरित किए गए थे। साथ ही पर्यावरण के क्षेत्र में वृक्षारोपण का कार्य एवं निर्धन बच्चों की शिक्षा व बेसहारा बालिकाओं के विवाह संस्कार में भी पूर्ण आर्थिक सहयोग करते हैं।
युवाओं को सीख- पहले अनुभव लें, फिर करें अपना व्यवसाय
गुरविंदर को अपनी फील्ड का भीष्म पितामह कहा जाता है, कई प्रमुख कारोबारी उनके जज्बे को सलाम कर चुके हैं। गुरविंदर ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि सर्वप्रथम शिक्षा हासिल करें, लेकिन जब अपने करियर की शुरुआत करें तो जल्दबाजी नहीं करें और बारीकी से अपने फील्ड का अनुभव लें। फिर जो निखार आएगा वो जीवनभर काम आएगा। शॉर्टकट नहीं अपनाएं। गुरविंदर सिंह ने कहा कि उनकी इंडस्ट्रीज के द्वार हमेशा सीखने वालों के लिए 24 घंटे खुले हैं।
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